भुगतान न होने से विकास कार्यों की अटकी तलवारे
माधौगढ़ (जालौन)
७ महीनों से सामग्री और ०४ माह से मनरेगा मजदूरी का भुगतान न होने से ग्राम पंचायतों के विकास की गति मंदी हो गई है। ब्लॉक इलाके के प्रधानों की माने तो महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना ही एक ऐसी योजना है, जिसकी बदौलत ग्राम पंचायतों के विकास को गति मिलती है। बीते ६ माह से सामग्री की धनराशि का भुगतान न होने से सामग्री सप्लायर ग्राम पंचायतों को सामग्री देने से इंकार कर रहे हैं।
विश्वस्त सूत्रों की माने तो सामग्री सप्लायरों से आए दिन सामग्री का भुगतान न होने से तू-तू मैं-मैं होती है जिससे ग्राम प्रधान मानसिक रूप से पीड़ित है। सामग्री और मजदूरी का भुगतान न होने से प्रधानों को विकास कार्य में बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। अभी तक दोनों प्रधान संघ ने पत्राचार के माध्यम से विभागीय उच्च अधिकारियों को अवगत कराया परंतु अब तक समस्या का निराकरण नहीं हुआ जो अत्यंत निंदनीय है।
कब तक होगा मनरेगा मजदूरी और सामग्री का भुगतान आखिर इतनी देरी क्यों
ग्राम प्रधान ब्लॉक पहुंचते ही आफ्स में चर्चा करने के साथ-साथ संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों से पहला सवाल यही करते हैं कि कबतक
मनरेगा मजदूरी और सामग्री का भुगतान होगा। सही मायने में इस बात का मुफीद जवाब किसी के पास नहीं है। परंतु ग्राम प्रधान करें भी तो क्या क्योंकि सुबह होते ही मजदूर और सामग्री सप्लायर प्रधानों के घर पर खड़े होते हैं कि आखिर कब तक मिलेगा उनका पैसा ?
सरकार को कोस रहे मजदूर और सप्लायर-
मनरेगा मजदूरी और सामग्री का भुगतान न होने से जहां एक ओर ग्राम प्रधान के साथ संबंधित अधिकारी और कर्मचारी परेशान है तो वही मनरेगा मजदूर और सप्लायर सरकार को कोसने से बाज नहीं आ रहे है। हो न हो कहीं न कहीं मजदूरों और सप्लायरों में सरकार के प्रति असंतोष व्याप्त है। अब देखना यह होगा कि इन मजदूरों और सप्लायरों को सरकार कबतक इनका बकाया चुकता करेगी। ये आने वाला वक्त ही तय करेगा।
मनरेगा कर्मचारियों को भी नहीं मिला ३ माह
से मानदेय मनरेगा योजना के तहत लगाए गये कर्मचारी भी हैरत में है। होली जैसा बडा पर्व निकल गया उन्हें दो माह से मानदेय के नाम पर घेला नहीं मिला है। जबकि मनरेगा कर्मचारियों का मानदेय भी बहुत अधिक नहीं है। मनरेगा कर्मचारी भूख की कगार पर है। फिर भी शासन प्रशासन उनकी ओर नहीं निहार रहा है।
