जाको राखे सांइया, मार सके न कोय
यह कहावत चरितार्थ हुई फ़िरोज़ाबाद में, जब 65 वर्षीय महिला को मरणनसर अवस्था मे परिजनों और डॉक्टरों ने भी जीवन की उम्मीद छोड़ दी थी लेकिन कुदरत की ओर से उसकी अभी ज़िंदगी बाकी थी जिससे वह डॉ0 अंशुल गर्ग के अथक प्रयास से खतरे से बाहर निकल गई।
इटावा ज़िले की रहने वाली 65 वर्षीय फूलन देवी की किडनी की नली ब्लॉक होने से किडनी डेमेज हो गई और उसका यूरिन पेट मे भर गया जिससे उसकी पल्स और बीपी बिल्कुल गिर गया। गंभीर हालत में महिला को इटावा, सैफई व अन्य कई जगह दिखाने के बाद ग्वालियर ले जाया गया और ग्वालियर हॉस्पिटल में भी कई दिन तक इलाज चलने के बाद हालत में सुधार नही आया। परिजनों ने नाज़ुक स्थिति को देखते हुए उसके जीवन की उम्मीद छोड़ दी थी और मरीज को घर ले आये।
मरीज के किसी परिजन की सलाह पर फ़िरोज़ाबाद के निजी ट्रामा सेंटर में गुर्दा विशेषज्ञ डॉ0 अंशुल गर्ग के पास लेकर दिखाया गया तब पहले तो डॉक्टर अंशुल गर्ग ने हालात नाज़ुक होने पर खतरों को बताया तब परिजनों द्वारा इलाज की गुहार की गई। डॉ0 अंशुल गर्ग का कहना है कि सबसे पहले मरीज़ के पेट मे नली डालकर भरा हुआ यूरिन व पानी निकाला गया और भगवान भरोसे उसका उपचार किया गया। महिला को छुट्टी दे दी गई पहले उसको खाना पीना बिल्कुल हज़म नही होता था लेकिन अब वह खूब खा पी रही है। महिला मरीज़ और परिजन डॉक्टर अंशुल गर्ग को भगवान का रूप मानकर रहे हैं और भगवान का धन्यवाद कर रहे है। महिला के बिना उम्मीद जीवन बचने से मरीज़ और परिजनों में खुशी है।
