झांसी के मोठ में मिलावटखोरी का साम्राज्य
“झांसी के मोठ तहसील इलाके में लोगों की सेहत के साथ खुलेआम खिलवाड़ हो रहा है। नाम है पनीर और देसी घी का, लेकिन असल में बिक रहा है ज़हर। जिम्मेदार विभाग आंखें मूंदे बैठा है और मिलावटखोरों का माफिया खुलेआम फल-फूल रहा है।
“ये पनीर नहीं, ज़हर है। ये देसी घी नहीं, मौत का सामान है। झांसी के मोठ तहसील क्षेत्र में पनीर और देसी घी के नाम पर लोगों को धीमा ज़हर परोसा जा रहा है। दूध डेरी और दुकानों पर मिलावटी माल का गोरखधंधा अपने चरम पर है। सूत्रों के मुताबिक, यहां खुलेआम सोयाबीन रिफाइंड ऑयल, सिंथेटिक पाउडर और केमिकल्स से पनीर बनाया जा रहा है। ये सब उस देसी घी में मिलाया जा रहा है, जिसे लोग शुद्ध मानकर अपने बच्चों को खिला रहे हैं।
बड़ी बात ये है कि ये खेल वर्षों से जारी है, और खाद्य सुरक्षा विभाग मूकदर्शक बना हुआ है। सवाल उठता है कि क्या विभाग को इसकी भनक नहीं? या फिर विभाग की चुप्पी किसी अंदरूनी ‘समझौते’ का नतीजा है?
स्थानीय लोगों की मानें तो डेरी संचालकों को न तो कोई डर है और न ही कोई कानून का भय। जांच के नाम पर महज़ खानापूर्ति होती है और फिर सब कुछ सामान्य हो जाता है।
मोठ तहसील क्षेत्र के कई दुकानों पर जब हमारी टीम ने पड़ताल की, तो वहां खुलेआम घटिया क्वालिटी का पनीर और नकली घी बिकता हुआ पाया गया। लोगों की शिकायतें हैं, लेकिन सुनवाई के लिए कोई तैयार नहीं।
सवाल है—कब तक यूं ही आम जनता की सेहत के साथ खिलवाड़ होता रहेगा? कब तक मिलावटखोरों को खाद्य विभाग का मौन संरक्षण मिलता रहेगा?
अब जरूरत है कि प्रशासन इस पूरे मामले की गंभीरता को समझे और फौरन कार्रवाई करे। क्योंकि ये सिर्फ मिलावट नहीं, सीधा-सीधा जनस्वास्थ्य से खिलवाड़ है।”
