कुम्हार के घर से मिट्टी लाकर ईसर, गोरां प्रतिमाएं बनाना शुरू की पूजा-अर्चना
महिलाओं ने गाएं मांगलिक गीत
राजलदेसर में शीतलाष्टमी पर महिलाएं व युवतियां कुम्हार के घर से मिट्टी लेकर आईं। मिट्टी से ईसर, गोरा की मूर्ति बनाकर पूजा की। भगवान शिव, गोरा को पार्वती, रोवां को इसर की बहन, मालन को माली और कनीराम को इसर के भाई के रूप में पूजते हैं। इस पूजा में भाई का विशेष महत्व होता है। रक्षाबंधन की ही तरह बहन भाई को तिलक लगाती है और भाई सामर्थ्य अनुसार बहन को भेंट देता है। मूर्तियां बनाने के बाद लड़कियां दोपहर में गणगौर को पानी पिलाती है, रात में पूजा के गीत गाती हैं। गणगौर का पर्व महिलाओं व युवतियों के लिए बेहद खास है। जमाना भले ही बदल गया हो लेकिन सांस्कृतिक मूल्य अब भी कायम है। वही शाम को गणगौर का बिंदोरा निकाला जाता है जिसमें महिलाओं ने अलग-अलग व्यंजन बनाकर गणगौर माता को भोग लगाया साथ ही गणगौर के गीतों से अपने घरों को गूंजायमान कर दिया जिसमें खेलने दो भंवर माने , आज म्हारे घर निकालो बनोरो ईश्वर दास जी पेचों रंगायो आदि गीतों से गुजयामन कर दिया वही प्रातः काल में भी महिलाओं द्वारा गणगौर का पूजन किया जाता है एवं अपने परिवार एवं अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती है
