चेतावनी की घंटी, सख़्त मिज़ाज: झाँसी SSP ने पुलिस महकमे को दिखाई ‘जीरो टॉलरेन्स’ की लकीर
जनपद झाँसी में सोमवार का दिन पुलिस महकमे के लिए किसी अलर्ट मोड से कम नहीं रहा। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बीबीजीटीएस मूर्ति ने सभी थाना प्रभारियों, थाना अध्यक्षों, क्षेत्राधिकारियों और चौकी इंचार्जों को सख़्त संदेश देते हुए साफ़ कहा— “जनता की सुरक्षा फ़ाइलों में नहीं, फील्ड में नज़र आनी चाहिए। शिकायतकर्ताओं को थाने की चौखट पर बार-बार नहीं लौटना चाहिए।”
महकमे के हर छोटे-बड़े अधिकारी को नसीहत नहीं, बल्कि चेतावनी के अंदाज़ में निर्देश दिए गए— कि जनसुनवाई ढीली पड़ी तो जिम्मेदारी तय होगी, महिला अपराधों में सुस्ती दिखी तो कुर्सी हिलेगी, साइबर अपराधों में लापरवाही हुई तो सीधे कार्रवाई होगी।

जनसुनवाई: SSP ने कहा— “जनता की आवाज़ ही पुलिस की परीक्षा है”
बैठक में सबसे पहले जनसुनवाई पर चोट की गई। SSP मूर्ति ने दो-टूक कहा कि थानों और चौकियों पर आने वाला हर नागरिक पुलिस से आखिरी उम्मीद लेकर आता है। ऐसे में उसकी शिकायत को हल्के में लेना, टालना या फुटबॉल बनाना किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं होगा।
उन्होंने कहा—
“थाने जनता के लिए हैं, अफ़सरों के लिए नहीं। शिकायतकर्ता को सम्मान मिले, समय मिले और समाधान मिले— यही असली पुलिसिंग है।“
सभी को निर्देशित किया गया कि शिकायतों का
- समयबद्ध निस्तारण,
- गुणवत्तापूर्ण जांच,
- और पीड़ित के साथ संवेदनशील व्यवहार
किसी भी हालत में समझौते का विषय नहीं है।

महिला अपराध: कड़े निर्देश, ज़ीरो टालमटोल नीति
महिला सुरक्षा को SSP ने प्राथमिकता नहीं, बल्कि “सबसे ऊंची चेतावनी सूची” की कैटेगरी में रखा। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा—
“महिला सुरक्षा पर चुके, तो समझो पुलिस चूक गई। किसी भी महिला की शिकायत पर कार्रवाई का एक-एक मिनट कीमती है।”
निर्देश दिए:
- मिशन शक्ति को दिखावे से निकालकर ज़मीनी हकीकत बनाया जाए।
- स्कूल–कॉलेजों में जागरूकता अभियान तेज़ हों।
- महिला हेल्प डेस्क सक्रिय और जवाबदेह बनाए जाएं।
- और हर महिला संबंधित FIR की मॉनिटरिंग अधिकारी स्वयं करेंगे।
SSP का तल्ख लहजा इस बात की गवाही देता है कि महिलाओं से जुड़े मामलों में देरी झाँसी में अब “निकल न सकने वाला अपराध” मानी जाएगी।
साइबर फ्रॉड: बढ़ते मामलों पर SSP का सख़्त अलार्म
साइबर अपराधों की बढ़ती रफ्तार को देखते हुए SSP ने तकनीकी तैयारी को लेकर अधिकारियों की क्लास ली। उन्होंने साफ कहा कि अब साइबर फ्रॉड “छोटा अपराध’’ नहीं रहा, बल्कि यह आधुनिक अपराध का सबसे खतरनाक चेहरा बन चुका है।
आदेश दिए गए:
- साइबर सेल की दक्षता बढ़ाई जाए,
- हर थाने में तकनीकी जानकारी रखने वाले कर्मियों को प्रशिक्षित किया जाए,
- सोशल मीडिया और ऑनलाइन फ्रॉड पर चौकन्नी निगाह रखी जाए,
- और पीड़ितों को त्वरित राहत देना पुलिस की सीधी जिम्मेदारी है।
SSP ने साफ चेतावनी दी—
“साइबर अपराध में देरी का मतलब है— अपराधी को खुद पुलिस का रास्ता दिखाना।”
व्यवस्था, अनुशासन और पारदर्शिता पर सख़्त निगरानी
बैठक का माहौल शुरू से अंत तक सख़्ती और पेशेवर चेतावनी से भरा रहा। SSP ने पुलिसिंग के हर पहलू में
- पारदर्शिता,
- जवाबदेही
- और सक्रियता
को पुलिस महकमे की “अनिवार्य शर्त” बताया।
उन्होंने यह भी कहा कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने का मतलब सिर्फ घटनाओं पर प्रतिक्रिया देना नहीं, बल्कि अपराध होने से पहले रोकना है।
“पुलिस तभी सफल है जब जनता सुरक्षित महसूस करे, सिर्फ सुरक्षित हो जाने से नहीं।”
थानों की कार्यशैली पर तीखी नजर
बताया गया कि कई थानों में
- पीड़ितों को अनावश्यक दौड़ाना,
- हल्की धाराओं में FIR लिखना,
- सुनवाई में देरी,
- और मुद्दों को दबाने की कोशिश
जैसी शिकायतें सामने आती रहती हैं। SSP ने संकेत दिया कि अब ऐसे मामलों में सीधे कार्रवाई होगी, चाहे अधिकारी कितना ही वरिष्ठ क्यों न हो।
थाना प्रभारियों को यह चेतावनी भी दी गई कि—
“थाने में बदइंतजामी मिलेगी, जनता की शिकायतें अनसुनी मिलीं तो कार्रवाई सीधे थानेदार से शुरू होगी।”
फील्ड में मौजूदगी अनिवार्य — कुर्सी पर बैठकर नहीं चलेगी पुलिसिंग
SSP मूर्ति ने कहा कि रिपोर्टिंग, फाइलिंग और मीटिंग से ज्यादा जरूरी है फील्ड में पुलिस की वास्तविक मौजूदगी।
इसलिए:
- रात्रि गश्त की मॉनिटरिंग,
- हॉटस्पॉट इलाकों पर लगातार नजर,
- बदमाशों और हिस्ट्रीशीटरों पर कड़ी कार्रवाई,
- और सार्वजनिक स्थानों पर पुलिस की दिखने वाली उपस्थिति
को और सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए गए।
सोशल मीडिया सेल को भी मिली सख़्त वॉर्निंग
सोशल मीडिया सेल को निर्देश दिया गया कि
- अफवाहों,
- भ्रामक सूचनाओं,
- और फेक न्यूज
पर तुरंत प्रतिक्रिया दी जाए। डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पुलिस की छवि केवल पोस्टों से नहीं बल्कि तुरंत प्रतिक्रिया से बनती है। देर करने पर सेल की जिम्मेदारी तय की जाएगी।
समीक्षा बैठक का सार: संदेश साफ— सुस्ती नहीं चलेगी
पूरी बैठक का लहजा साफ था—
झाँसी पुलिस से जनता की उम्मीदें बड़ी हैं, और अब ढील या लापरवाही की कोई गुंजाइश नहीं बचेगी।
SSP ने अंत में कहा—
“अपराध रोकना, जनता को सुरक्षा का भरोसा देना और समय पर न्याय दिलाना— यही पुलिस की असली परीक्षा है। और इस परीक्षा में जो फेल होगा, उसकी जगह कोई और लेगा।”
जनपद झाँसी में आयोजित यह समीक्षा बैठक यह संकेत दे गई कि आने वाले दिनों में पुलिस महकमे में
- तेज़ कार्रवाई,
- सख्त अनुशासन,
- और जीरो टॉलरेंस
का दौर और तेज होने वाला है।







