“कभी मां कहलाई, आज सौतन कहलाने लायक भी नहीं रही।
जिसने बेटी को लोरी सुनाकर सुलाया, अब उसी बेटी की नींदें उड़ा दीं… और सब कुछ लूटकर दामाद संग हो गई फरार।”
ये मामला किसी टीवी सीरियल या फिल्म की स्क्रिप्ट नहीं है —
ये सच्चाई है उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले की,
जहां रिश्तों की मर्यादा तार-तार हो गई।
अलीगढ़ के थाना मडराक क्षेत्र का एक गांव…
जहां हर गली में शादी की तैयारी की सरगर्मी थी।
घर सजा था, मेहमान आने वाले थे।
16 अप्रैल को बारात अलीगढ़ के ही थाना दादों क्षेत्र से आनी थी।
लेकिन बारात से सात दिन पहले कुछ ऐसा हुआ जिसने बेटी को दुल्हन बनने से पहले ही एक शर्मनाक कहानी का किरदार बना दिया।
घर में रखे थे 3 लाख रुपये नकद, 5 लाख के गहने
और साथ ही रखी थी एक बेटी की उम्मीदें… ख्वाब… और उसके होने वाले पति का प्यार।
मगर, मां ने अपनी ही बेटी के सपनों का सौदा कर डाला।
मां और दामाद दोनों घर छोड़कर फरार हो गए।
बेटी की मांग में भरने वाला सिंदूर अब किसी और की मांग पर चढ़ चुका है — और वो कोई और नहीं, खुद उसकी मां है।
“जिस दामाद को बेटी ने अपना बनाने का सपना देखा था,
उसे मां ने अपना बना लिया।
जिसे मां ने अपना बेटा कहा,
उसे दिल दे बैठी।”
क्या ये वही समाज है जहां मां-बेटे का रिश्ता सबसे पवित्र माना जाता है?
क्या ये वही रिश्ते हैं जिन्हें ‘ममता’ का नाम दिया जाता है?
“मेरी मां नहीं रही… अब वो मेरी सौतन है।
जिसे मैंने भगवान माना, वो शैतान बन गई।”
बेटी थाने जा पहुंची।
मां के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया।
वो मां जो कभी उसके सिर पर हाथ रखती थी,
अब पुलिस की लिस्ट में फरार अपराधी के तौर पर दर्ज है।
गांव वाले भी हैरान हैं।
कोई कुछ नहीं बोल पा रहा।
जो मां कभी समाज में इज्ज़त से देखी जाती थी,
अब लोग उसका नाम सुनकर मुंह फेर रहे हैं।
“क्या प्यार इतना अंधा हो गया कि रिश्तों की सारी सीमाएं ही खत्म कर दी जाएं?”
“क्या उम्र और संस्कार अब सिर्फ किताबों तक सीमित रह गए हैं?”
ये एक बेटी का टूटा सपना नहीं,
बल्कि एक समाज का घाव है —
जो शायद जल्दी नहीं भरने वाला।
मां-बेटी के इस रिश्ते की लाश अब थाने में पड़ी है।
पुलिस तलाश रही है उस मां को,
जिसने बेटी के अरमानों को कुचलकर,
एक ऐसा तमाचा मारा है कि पूरा समाज आज शर्मसार है।
“बेटी अब इंसाफ़ चाहती है,
मां को सज़ा चाहिए…
और समाज को सबक़।”
क्योंकि अगर आज ये नहीं रुका…
तो कल और भी कई रिश्ते दम तोड़ते दिखेंगे।
