UPSC द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा में अंतिम रूप से चयनित होने के लिए तैयारी में संतुलन एवं समग्रता की आवश्यकता होती है। इस परीक्षा के प्रत्येक चरण के प्रत्येक प्रश्नपत्र में पकड़ मजबूत होना आवश्यक है अन्यथा असफलता का जोखिम बढ़ जाता है। इसी कड़ी में वैकल्पिक विषय मुख्य परीक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका रखता है। अधिकांश अभ्यर्थी असमंजस में रहते हैं कि वैकल्पिक विषय के तौर पर किस विषय को चुनें। हमारे पत्रकारों ने संस्कृति IAS Coaching सेंटर के अखिल मूर्ति सर से बातचीत करके उन जरूरी बातों के बारे में जानकारी प्राप्त की है जिसके आधार पर आप वैकल्पिक विषय बेहद आसानी से चुन सकते हैं।
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UPSC के वैकल्पिक विषय का चुनाव करने के लिए संस्कृति IAS Coaching के अखिल मूर्ति के सुझाव
गौरतलब है कि UPSC सिविल सेवा परीक्षा में प्रारंभिक परीक्षा के बाद मुख्य परीक्षा में कुल नौ प्रश्न पत्र होते हैं, जिसमे से एक वैकल्पिक विषय के दो प्रश्न पत्र 250-250 अंक के होते हैं। इस वैकल्पिक विषय का चयन आयोग द्वारा निर्धारित सूची में से करने की स्वतंत्रता होती है। मुख्य परीक्षा में शामिल इसके अंक एवं साक्षात्कार के अंकों के योग से अंतिम मेरिट बनाई जाती है।
वैकल्पिक विषय का महत्त्व-
• चूँकि वैकल्पिक विषय 500 अंकों का होता है अतः सिविल सेवा की परीक्षा में इसका अपना महत्त्व है।
• यदि वैकल्पिक विषय सामान्य अध्ययन के किसी प्रश्न पत्र से जुड़ा है तो साथ-साथ दोनों की तैयारी हो जाती है।
• यदि यह किसी का दिलचस्प विषय है तो परीक्षा की तैयारी में समय व श्रम कम लगता है। शेष समय वह सामान्य अध्ययन में लगाकर अंको में बढ़त ले सकता है।
वैकल्पिक विषय के चयन के आधार-
• अयोग द्वारा निर्धारित वैकल्पिक विषय की सूची में किसी विषय को सरल या कठिन कहना उचित नहीं है। यह तो विषय के प्रति अभ्यर्थी का रुझान तय करता है। हालाँकि हर विषय को अच्छे से पढ़ना होता है और लगभग हर विषय में अच्छे अंक मिलने की भी सम्भावना रहती है। विषय कोई उत्पाद (Product) नहीं है कि कोई विशेष विषय ही उपयुक्त होगा। यह तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों पर निर्भर करता ही वह किसी विषय को कैसे देख रहे हैं।
वैकल्पिक विषय के चुनाव करते समय कुछ अधोलिखित बिन्दुओं को ध्यान में रख सकते हैं-
• विषय का चुनाव रूचि के अनुसार करें।
• मार्गदर्शन सहजता से उपलब्ध हो।
• विषय को लेकर स्पष्ट दृष्टिकोण हो।
• विषय की अध्ययन सामग्री आसानी से उपलब्ध हो।
• विषय सामान्य अध्ययन की तैयारी में भी सहायक हो।
• विषय के अध्ययन के लिए किसी विशेष दक्षता या डिग्री की आवश्यकता न हो, अर्थात विषय की प्रकृति विशेषीकृत न होकर सामान्यीकृत हो।
सिविल सेवा परीक्षा में सफलता संतुलन पर टिकी है। तीनों चरणों में सामंजस्य बनाकर तैयारी को सम्पूर्णता की ओर ले जाएं। वैकल्पिक विषय का चुनाव बेहद सावधानी से करें चूँकि एक अच्छा निर्णय चयन सूची में शामिल करा सकता है।
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